स्त्री और पुरुष मन में अंतर
पुरुष का मन सुंदर चित्र की खोज करता है।
स्त्री का मन सुंदर चरित्र की खोज करता है।
पुरुष बाहरी जगत का प्रतीक है और स्त्री भीतरी जगत की, प्रागेतिहास से लेकर आधुनिक युग तक जितने भी महान शिल्पकार, चित्रकार हुए हैं वह सभी पुरुष हैं, किसी स्त्री ने आज तक न तो कोई विशेष स्मारक बनाई है न मूर्ति और ना कोई ऐसा विशेष चित्र।
यह स्त्री की अयोग्यता नहीं है अपितु योग्यता है क्योंकि उसी ने उस पुरुष को रचा है जिसने भौतिक पदार्थों से भौतिक जगत को सुंदर और आधुनिक बनाया है।
जब कोई नवजात शिशु जन्म लेता है तब वह ना तो बोल पाता है ना कुछ समझ पाता है उसे समझने की कला हर स्त्री में प्राकृतिक रूप से होती है और उस नवजात शिशु को समझाने की कला भी हर स्त्री में होती है इसीलिए कहा जाता है मां से बड़ा कोई शिक्षक नहीं है।
समझने और समझाने की बारीकी का अध्ययन माता और पुत्र के संबंध से ही किया जा सकता है। इस पंक्ति में पुत्र शब्द का विशेष महत्व है मैं चाहता तो यहां संतान लिख सकता था पर मैंने पुत्र ही लिखा है इसकी चर्चा नीचे अवश्य करूंगा पर अभी हम समझने और समझाने के भेद पर प्रकाश डालेंगे।
पुरुष का व्यवहार समझाने पर अधिक जोर देता है पुरुष अपनी पत्नी को अपने बच्चों को अपने मित्रों को परिजनों को और वृद्ध माता-पिता को समझाता है।
स्त्री इसलिए किसी को समझाने कि अधिक से चेष्टा नहीं करती है क्योंकि वह अपने पति को अपनी संतान को अपने परिजनों को अपने माता-पिता सास-ससुर को समझती है। अपनों को समझने की यह कला ही स्त्री को सभी पारिवारिक दायित्व निभाने मैं पारंगत करती है।
अब बात करते हैं स्त्री और पुत्र के विशेष रिश्ते की
मनुष्य समाज अपने आरंभ से ही पुरुष प्रधान है इस रहस्य को हर स्त्री का भीतरी मन बहुत गहराई से जानता है, इसीलिए वह पुत्र को जन्म देना अधिक उपयोगी मानती हैं ।
अगर और गहराई से देखा जाए तो मुझे यह कहने में भी कोई कष्ट नहीं होगा कि जिस स्त्री पर जीवन भर पुरुष का शासन रहा वह पुत्र को जन्म देकर उस पर शासन करना चाहती है। 😄😄
पर यहां शासन में भी भेद है पुरुष का शासन अधिकार का है और स्त्री का शासन प्रेम और समर्पण का है।
आप सबका स्नेही
चेतन श्री कृष्णा
#chetanshrikrishna
Gunjan Kamal
05-Dec-2022 07:15 PM
शानदार
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Peehu saini
02-Dec-2022 09:46 PM
Bahut khoob 😊
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